...

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जीना अकेले ही होता है...
कभी दिल में आया ही नहीं....
कि अकेले जीकर देखा जाए,
अकेले हंसकर,अकेले रोकर देखा जाए,
अकेले खुशियां मनाकर देखा जाए,
अकेले रहकर देखा जाए,
गिरूं तो खुद उठ जाऊं..
कभी सोचा ही नहीं..
क्योंकि मैं डरती थी अकेलेपन से,

हमेशा ढूंढती रही किसी को,
कि कोई हो जो मेरी बात सुने
जिसके संग खुद को बांट सकूं,
जिसके साथ हंसूं,कंधे पर सिर रखके रोऊं,
कोई संभाल ले, कोई थाम ले..

जीना अकेले ही होता है..
ये सब शायद अब सीख जाऊंगी..!!

आकांक्षा मगन "सरस्वती"
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