...

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जगत के कोने-कोने में
होता यह घटित कांटेदार झाड़ियों में
होता यह घटित सूखे जंगलों में
यह होता घटित अंधेरी रातों में
यह होता घटित दिन के उजालों में
पर यह होता घटित
जगत के कोने-कोने में।

होता चीर-फाड़ उसकी कपड़ों के
होती हत्या अंदर बसे उस आत्मा के
नोचने भेड़िए शरीर के हर एक कोशिका ओं को
फेंक देते श्मशान में मरने बेबस मौत को
पर होता है घटित
जगत के कोने-कोने में।

फिर होता घटित एक और सवेरा है
आते निंद के राक्षस, कुछ को जगाते , कुछ को...