निश्छल भाव से प्रभु से विनती
★ प्रभु प्रार्थना की चंद पंक्तियां ★
हे करुणा सिंधु दया सागर तुमसे ये विनय हमारी है,
हे जगपालक जनसुख दायक तुमसे ये विनय हमारी है ।।
प्रभु अंतर्यामी ब्रजवासी तुम पर प्रभु है अनंत ज्ञान,
तुम कष्ट विदारक रघुनायक शरणादि भक्त का रखो मान ।।
तुमसे ही सृष्टि सुनहरी है तुमसे ही जग संचालित है,
मन है अधीर व्याकुल शरीर तज नेह मिलन लालायित है ।।
हे ईश्वर ईश अनादि सिंधु, हे बाल कृष्ण हे मनभावन,
हे तेज पुंज हे शिव शंभु ले आओ कही से अब सावन ।।
द्वारिकाधीश तुम ध्यान करो, अर्जी चरणों में रखी हुई,
हे राधे हे घनश्याम सुनो मेरी आत्म डोर है फंसी हुई ।।
गुरुवर के तुम हो राम लला, देवकी के कान्हा प्यारे हो,...
हे करुणा सिंधु दया सागर तुमसे ये विनय हमारी है,
हे जगपालक जनसुख दायक तुमसे ये विनय हमारी है ।।
प्रभु अंतर्यामी ब्रजवासी तुम पर प्रभु है अनंत ज्ञान,
तुम कष्ट विदारक रघुनायक शरणादि भक्त का रखो मान ।।
तुमसे ही सृष्टि सुनहरी है तुमसे ही जग संचालित है,
मन है अधीर व्याकुल शरीर तज नेह मिलन लालायित है ।।
हे ईश्वर ईश अनादि सिंधु, हे बाल कृष्ण हे मनभावन,
हे तेज पुंज हे शिव शंभु ले आओ कही से अब सावन ।।
द्वारिकाधीश तुम ध्यान करो, अर्जी चरणों में रखी हुई,
हे राधे हे घनश्याम सुनो मेरी आत्म डोर है फंसी हुई ।।
गुरुवर के तुम हो राम लला, देवकी के कान्हा प्यारे हो,...