...

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माँ तू सच में खास है।
लफज़ क्या लिखूं तेरे लिए,
अपने हाथों से मेरी हिफ़ाज़त,
अपने गोद मेँ मेरी दिक्कत,
जितना भी परेशान करूँ बिना कोई नफरत ,
तूने मुझे प्यार क्या है।
तेरे हाथों सिर पे होने का अनोखा एहसास है ,
माँ तू सच में खास है।

किरदार बहुत तू निभाती
अपने दर्द को मुस्कान के पीछे छुपाती
कभी कभी रूठ जाति पर बहुत हसाती,
बातों बातों में सलाह देती,
कभी कभी डाटती पर प्यार बेशुमार करती,
माँ तू सच में खास है।

चाँद तारे पाने की ना है ख्वाहिश ,
पर रब से करना पड़ा अगर कोई गुजारिश ,
हर जन्म तुझे माँ कि रूप मेँ पाने कि चाहत है,
इबादत करी होगी कोई पिछली जन्म में ,
कि आज मुझे तेरा साथ हे,
माँ तू सच में खास है।

अपने आंचल के पिछे छुपा कर,
खयाल रख कर,
रोने पर चुप करा कर,
पास हाथों को थाम कर सुलाह कर,
ममता के चादर को बुन के मुझे संभाल कर,
मुझे तूने बड़ा किया है।
क्यों मेँ कहुॅ खुदा मुझ पे मेहरबान नहिं है,
माँ तू सच में खास है।

तू जो मेरे पास है,
खुशियाँ का मौसम है,
हर दिन बाहर है,
तेरा होने से मेरा वज़ूद है।
तेरे कोमल हाथों के ताकत देख कर जग हैरान है।
सब इनाम से बड़ा इनाम तेरा प्यार है,
माँ तू सच में कुछ खास है।


© Swagat Panda