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गुजरता वक़्त
गुजरते वक्त के साथ गुजरते
लोग हैं
लेकिन आज यह अभियोग है।
यहाँ लोग मर रहे-
उन्हें चिड़ियों के दाने की पड़ी है।
सामने पड़ी लाश का एक टुकड़ा
कौआ नोच ले गया।
इधर हर किसी को भीड़ में
टीवी में आने की पड़ी है।
जिसे जाना था वो चला गया
फिर गली में एम्बुलेंस क्यों
कल से ही खड़ी है।
शायद! सरकारी खानापूर्ति है।
जैसे कार्यालयों में -
गांधी-नेहरू की मूर्ति है।
निशान्त।
© Nishant Kumar
लोग हैं
लेकिन आज यह अभियोग है।
यहाँ लोग मर रहे-
उन्हें चिड़ियों के दाने की पड़ी है।
सामने पड़ी लाश का एक टुकड़ा
कौआ नोच ले गया।
इधर हर किसी को भीड़ में
टीवी में आने की पड़ी है।
जिसे जाना था वो चला गया
फिर गली में एम्बुलेंस क्यों
कल से ही खड़ी है।
शायद! सरकारी खानापूर्ति है।
जैसे कार्यालयों में -
गांधी-नेहरू की मूर्ति है।
निशान्त।
© Nishant Kumar
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