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रूबरू आईना हकीकत का :- ग़ज़ल
मामला है बहुत ये हैरत का
मुझसे रिश्ता तेरा ज़रुरत का
हर कोई क्यूं उदास बैठा है
दौर आया है कैसी वहशत का
उसको देखा है मस्कुराते हुए
आज का दिन है, दिन कयामत का
इब्तेदा है वफ़ा मुहब्बत की
दर्द अंजाम है मुहब्बत का
कोई बचपन का यार ही मिलता
कुछ तो इमकां बने शरारत का
एक दिन झूठ तेरे आना है
रूबरू आईना हकीकत का
तुम अनन्या जिसे समझते हो
एक हंगामा है करामत का
© अनन्या राय पराशर
© Ananya Rai Parashar
मुझसे रिश्ता तेरा ज़रुरत का
हर कोई क्यूं उदास बैठा है
दौर आया है कैसी वहशत का
उसको देखा है मस्कुराते हुए
आज का दिन है, दिन कयामत का
इब्तेदा है वफ़ा मुहब्बत की
दर्द अंजाम है मुहब्बत का
कोई बचपन का यार ही मिलता
कुछ तो इमकां बने शरारत का
एक दिन झूठ तेरे आना है
रूबरू आईना हकीकत का
तुम अनन्या जिसे समझते हो
एक हंगामा है करामत का
© अनन्या राय पराशर
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