...

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मेरी आदम शहर में तेरे
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं

तेरी तलब एसी लगी
हम दुनिया से ज़्यादा तेरे लबों के दीवाने हैं

तेरी निगाहें एसी जो कहर ढाती हैं
तेरी निगाहें एसी जो कहर ढाती हैं
मैं बचकर चलता हूँ अब तेरी बगल से
तेरी अदाएं मुझे लगी ठगने हैं

जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं


© zindagi