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हाल-ऐ-दिल ❤️
मिलो कभी दो पल को तोह
हाल-ऐ-दिल अपना सुनाये तुम्हे
कैसे गुजरते है तुमबिन दिन-रात मेरे
आओ कभी तो फिर बताये तुम्हे.....
यू रातो को घण्टे छत पर बैठना मेरा
अक्सर चांद में दीदार यू करना तेरा
मत पूछना बस मेरे दर्द का आलम
की दर्द भी रो पड़ेगा सुनकर किस्सा मेरा..
किस तरह बेचैनियों ने घेरा है मुझको
आ जा सनम अपना आलम जताये तुम्हे
की बहुत हुआ यू हवाओ में महसूस करना
आ जा अब तो हमदम गले से लगाये तुम्हे ...
हाल-ऐ-दिल अपना सुनाये तुम्हे
कैसे गुजरते है तुमबिन दिन-रात मेरे
आओ कभी तो फिर बताये तुम्हे.....
यू रातो को घण्टे छत पर बैठना मेरा
अक्सर चांद में दीदार यू करना तेरा
मत पूछना बस मेरे दर्द का आलम
की दर्द भी रो पड़ेगा सुनकर किस्सा मेरा..
किस तरह बेचैनियों ने घेरा है मुझको
आ जा सनम अपना आलम जताये तुम्हे
की बहुत हुआ यू हवाओ में महसूस करना
आ जा अब तो हमदम गले से लगाये तुम्हे ...
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