...

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जुस्तजु
उससे मिलने की जुस्तजू करते
उम्र गुज़रे यह आरज़ू करते

बात करते ना यूं सर ए महफ़िल
आँखों आँखों में गुफ्तगू करते

चाक होना था दामन ए दिल को
हम कहाँ कहाँ भला रफू करते

वक़्त ए रुखसत नमाज़ ए आखिर भी
लोग रह जाएंगे वजू करते

ज़िन्दगी तो गुज़र ही जानी है
तुम को तुम और तू को तू करते
© Ahmed Shahbaz ‎احمد شہباز