...

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लड़कों के जज्बात

माँ आपका साहरा बनना है, मैं आज चैन से सोऊँ कैसे..?
माँ लड़कियाँ रो लेती हैं बात - बात पर , मैं रोऊँ कैसे..?

आ गए आंसू तो लड़का होकर रो रहा है, कहकर पुकारा जायेगा।
अगर ना बन पाया काबिल कमाने के ,तो मुझे हर जगह नकारा जायेगा।

माँ लड़कियों को लगता है कि केवल उन्हें ही घर छोड़कर जाना पड़ता है।
माँ एक भाई को भी तो बहन से दूर होकर खुद को समझाना पड़ता है।
मेरी बहन जो घर की मुस्कान है उसकी सादी कर उस मुस्कान को खोऊँ कैसे..?
माँ लड़कियाँ रो लेती हैं बात- बात पर, मैं रोऊँ कैसे..?

उन्हें लगता है बंद है वो चार दिवारे में,
पंछी की तरह पिटारे में।
माँ लड़कियाँ मानती है कि घर का काम कठिन है।
कैसे समझाऊँ उन्हें कि मैडम बाहर की दुनिया सिर्फ़ देखने को रंगीन है।
लड़कियाँ ना कमा पाई तो जैसे - तैसे चल जायेगा , पर लड़कों को तो कमाना पड़ेगा ।
घर का काम तो मर्जी से होता है, बाहर तो मस्तिष्क झुकाना पड़ेगा।
कहीं मंत्रियों की चलती है तो कहीं कैरप्सन , मैं नोकरी टोऊँ कैसे..?
माँ लड़कियाँ रो लेती हैं बात -बात पर मैं रोऊँ कैसे....?



© सूरज " अल्फ़ाज "