...

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शहर के कुछ रंग
#शहरीदृश्यकाव्य

धुंए और धूल में ढका हुआ
ये हैं सपनो का शहर
अपने अस्तित्व को खोता हुआ
हर तरफ शोर ही शोर
अब तो जैसे खामोशिया बोल उठेंगी
पेड़ पौधे तो है पर मुरझाईं हुई सी
जो खड़े है हरे भरे जीवन की आस लिए
सपनो का शहर सबके सपने को
हकीकत करता हुआ
सबके जीवन में रंग भरता हुआ
मिल जाती है हर वो चीज पैसों से
बस कभी नहीं मिल पाता
तो वो है एक सुकून ,एक अपनापन
फिर भी भीड़ से भरे इस शहर में
अपनो से दूर अपनो के लिए ही
रह जाते है लोग ।














© verma anita