...

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प्रेम से मुझको सहला रे ।
घर घर ढूंढा, घट घट ढूंढा
आत्मा मैला का मैला रे ।

इत ऊत ढूंढा, नित नित ढूंढा,
मन का मिला ना छैला रे ।
©®@Devideep3612
भटक रहा हूं नित नित चहुं ओर,
किस ओर मैं पाऊं लैला रे ।

जन्म जनमका मैं प्यासा बादल,
कोई बुंद पिलाएं पहला रे ।
©®@Devideep3612
भटक रहा अंधियारी नगरी
वो दे दे किरण रूपहला रे ।

चलता चला हूं, अभी न रुका हूं
थोड़ासा कोई तो बहला रे ।
©®@Devideep3612
भटक रहा, नगरी दर नगरी,
अबका जनम, ये नहला रे ।

जिऊं कब तक बन प्यासा बादल,
कोई प्रेम से मुझको सहला रे ।
© ©®Devideep3612