...

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बढ़ते जाते हैं
उम्र दराज़ी की संगत में फ़र्ज़ भी बढ़ते जाते हैं,
जो उम्र बढ़ी, रिश्ते बढ़े तो दर्द भी बढ़ते जाते हैं.

हम आते हैं दुनिया में कुछ उम्मीदों के बोझ तले,
और दुनिया में रहते इसके हर्ज़ भी बढ़ते जाते हैं.

नौजवानी में होती है, फ़िक्र कहां, मुश्किल कैसी,
पर दिन ढलते ही रातों के कुछ मर्ज़ भी बढ़ते जाते हैं.

कोई सोचे या चाहे पर कोई अकेला न चलता,
और इस मेले में चलने पे कुछ कर्ज़ भी बढ़ते जाते हैं.
© अंकित प्रियदर्शी 'ज़र्फ़'

अर्ज़ किया है.....
उम्र दराज़ी - उम्र का बढ़ना (ageing)
हर्ज़ - नुकसान (loss)
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