...

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खामोशी
अच्छे अच्छे की तबियत को नासाज़ कर सकता हूँ।
जो खुश हो रहे हैं उन्हें नाराज़ कर सकता हूँ।।
और तुम फायदा न उठाना हमारी चुप्पी का,
ज़नाब मैं शायर हूँ ,खामोशी को भी आवाज कर सकता हूँ।।
जो न आये यकीं तो एक दफ़ा आजमाकर देख लेना,
चिड़िया हूँ मगर वक़्त आने पर खुद को बाज कर सकता हूँ।।
© Ashish pandey