...

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सखी मन आज कुछ
सखी.... मन आज कुछ भारी सा है।
वो जो मुझे मिला है ,वो मुझे मिल नही रहा है।
मिला है वो कच्चे रेशमी धागे से लिपटी ,बंधी मन्नत की तरह।
मिला है वो...