...

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कोरा कागज़..
कोरा कागज़ थी जिंदगी हमारी जनाब,
उनके एहसास की स्याही ने रंगों का कलरव छेड़ दिया...
आई रौनक उनके पास आने से,
दिल ने धड़कनों का सरगम छेड़ दिया...
मिट गया सब कोरापन,
हम पर तो उनका रंग चढ़ गया..
असर कुछ ऐसा हमारी दुआओं का हुआ,
बिन माँगे हमें तो रब मिल गया..
हुई कुबूल तमन्ना हमारी,
प्रेम की स्याही से लाल रंग गया...
न रही हमारी ये साँसे हमारी,
जब भी चली ये स्याही तेरा नाम लिख गया..
© Jyoti Kanaujiya