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मैं
"मैं"
कौन हूँ मैं, क्या हूँ मैं,
मैं इस "मैं" से मिलना चाहता हूँ।
बहुत सवाल है मन के भीतर,
मैं इस "मैं" मिलकर पूछना चाहता हूँ।
घिरा हुआ हूँ मैं "मैं" के भवर जाल में,
मैं इस "मैं" के भवर से निकलना चाहता हूँ।
बहुत भरम पैदा किया है इस "मैं" ने,
मैं इस "मैं" के भरम को तोड़ना चाहता हूँ।
मिटाकर इस "मैं" के दंभ को मैं,
मैं स्वयं से साक्षात्कार करना चाहता हूँ।
करके मंथन इस "मैं" का मैं,
मैं स्वयं में एकाकार होना चाहता हूँ।
कौन हूँ मैं, क्या हूँ मैं,
मैं इस "मैं" से मिलना चाहता हूँ।
बहुत सवाल है मन के भीतर,
मैं इस "मैं" मिलकर पूछना चाहता हूँ।
घिरा हुआ हूँ मैं "मैं" के भवर जाल में,
मैं इस "मैं" के भवर से निकलना चाहता हूँ।
बहुत भरम पैदा किया है इस "मैं" ने,
मैं इस "मैं" के भरम को तोड़ना चाहता हूँ।
मिटाकर इस "मैं" के दंभ को मैं,
मैं स्वयं से साक्षात्कार करना चाहता हूँ।
करके मंथन इस "मैं" का मैं,
मैं स्वयं में एकाकार होना चाहता हूँ।
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