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मानसिकता
जीवन अनंत संघर्ष हैं या कोई परीक्षा है,
जीवन इन में से कुछ भी नहीं बस हमारी मानसिकता है।
कई बार मुस्कुराती सी मैं,
निराश, हैरान, परेशान हो जाती हूंँ,
क्यूँ मुझे संतुष्टि नहीं जीवन से,
बैंक में रखे मेरे धन से,
इस सोच में पढ़ जाती हूंँ।
दूसरों को दोष देना
क्या ये कोई शिषटता है?
मेरा जीवन वैसा है,
जैसी मेरी मानसिकता है
सब कर के देख लिया रोना धोना ,नाटक बवाल
खड़ा है आज भी वहीं पर वही सवाल,
क्या है आपकी सोच ,उस सोच का आपकी ज़िंदगी में कितना हिसा है?
ज़िंदगी वैसी ही है ,
जैसी आपकी मानसिकता है।
तो छोड़ कर दूसरो से खुद की तुलना करना,
क्यों ना मंथन बार-बार करें,
बदल लें अपनी मानसिक स्थिति को,
और खुद अपने जीवन को
काँटों के बन से,
महकते फूलो का हार करें।
© Haniya kaur
जीवन इन में से कुछ भी नहीं बस हमारी मानसिकता है।
कई बार मुस्कुराती सी मैं,
निराश, हैरान, परेशान हो जाती हूंँ,
क्यूँ मुझे संतुष्टि नहीं जीवन से,
बैंक में रखे मेरे धन से,
इस सोच में पढ़ जाती हूंँ।
दूसरों को दोष देना
क्या ये कोई शिषटता है?
मेरा जीवन वैसा है,
जैसी मेरी मानसिकता है
सब कर के देख लिया रोना धोना ,नाटक बवाल
खड़ा है आज भी वहीं पर वही सवाल,
क्या है आपकी सोच ,उस सोच का आपकी ज़िंदगी में कितना हिसा है?
ज़िंदगी वैसी ही है ,
जैसी आपकी मानसिकता है।
तो छोड़ कर दूसरो से खुद की तुलना करना,
क्यों ना मंथन बार-बार करें,
बदल लें अपनी मानसिक स्थिति को,
और खुद अपने जीवन को
काँटों के बन से,
महकते फूलो का हार करें।
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