...

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वक्त
सजा लो कितना भी घड़ी को फूलों से,
वक्त तो कांटे बताया करते हैं.
जिन्होने सिखाया कभी मुस्कुराना हमें,
वहीं हमें अब रूलाया करते हैं.
"भानु"कहती है वहीं जो उसने देखा है,
झूठे किस्से हम नहीं सुनाया करते हैं.