...

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हैं - 2
किसी के इश्क़ ने नहीं मेरे हाथों में कलम उसकी रहमत ने थमाई हैं,

जज़्बातों को अंदाज़ ए बयां करने की कला ज़िन्दगी ने सिखाई हैं,

दुनियां के पैसों से जेब खाली रही,हां शब्दों की दौलत खूब कमाई हैं,

ख़ुद का साया भी साथ छोड़ गया था,तब से लिखावट बनी परछाई हैं,

ख्यालों,अरमानों से ज़्यादा मुझे अब हक़ीक़त ही देती दिखाई हैं,

भले लगे तुमको कड़वा पर सच लिखने की ज़िम्मेदारी 'ताज' ने निभाई हैं।
© taj