...

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फिर भी चलते जातें हैं..
खुशियों की बहार हो,
या,
दुखों की सौगात हो,
भले निराशा की हर रात हो,
फिर भी हम चलते जातें हैं..

'मुश्किलों के' तो हर रास्तें पर
कांटें है,
फिर भी हमनें खुशियां ही बांटे हैं,
हम खुश हैं ये ही दिखाते हैं,
फिर भी हम चलते जातें हैं..

चुनौतियों के तो भरमार हैं,
वो ही तो हैं जो,
सपनों को पूरा करने का आधार है,
चुनौतियों का भी आभार है,
क्योंकि उनसे निखरतें हम हर बार है,
हर वक्त हर बात की चिंता,
दिल पर सवार है,
फिर भी हम चलते जातें हैं..

दुसरों को खुश रखतें रखतें,
खुद के सपनों को भूलकर,
हम सबके सपने पूरे करने निकलतें हैं,
फिर भी करता हम पूरे कर पाते हैं?,
फिर भी हम चलते जातें हैं..

और कभी कभी तो ऐसा लगता है की
मुझे ऐसा करता पाना था, जो मैं खुद को भूल गई।
written by VANSHIKA CHAUBEY