...

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तू है नील गगन की रानी।
तू हैं नील गगन की रानी।
सौंदर्य वस्त्र बदन पर सोहे,
तू प्रेम श्रृंगार दीवानी।
चन्द्र मुख नीलोप्तल आंखे,
दीवानों की तू प्यास।
ठुमक- ठुमक कर कहा चली,
क्या? सुगंध हवा के पास।।


धीमी- धीमी गति बनकर, तू कहा चली।
तेरे आने से सरोज ही क्या,
कीचड़ में कली खिली।
हिरनी जैसी तेरी चाल निराली।
मेरा मन हर्षित होता हैं, तुझे देख कर,
तुझे नशा कहूं या फिर प्याली।।



उपवन...