raato mein
कभी बाहर निकल सुनसान रातों में सुकून ए क़ल्ब है वीरान रातों में
सुख़न होता ही है रौशन अँधेरे में कहा है 'मीर' ने दीवान रातों में
कहूँगा शे'र चाहत में सवेरे की करूँगा और क्या बे-जान रातों में
सहर होते ही चुप्पी ओढ़ लेते हैं मचलते...
सुख़न होता ही है रौशन अँधेरे में कहा है 'मीर' ने दीवान रातों में
कहूँगा शे'र चाहत में सवेरे की करूँगा और क्या बे-जान रातों में
सहर होते ही चुप्पी ओढ़ लेते हैं मचलते...