“अनकहे एहसास ”
सूना सूना था सारा तारामंडल
सागर में बूंद जैसे सितारों जड़ी
इक तरफ़ था अथाह समंदर
इक तरफ़ बेबस मैं थी खड़ी
शोर बहुत था मन के अंदर
बहार पसरी थी ख़ामोशी बड़ी
दोनो में था क्यों इतना अंतर
असमंजस में थी मैं भी पड़ी
यादों...
सागर में बूंद जैसे सितारों जड़ी
इक तरफ़ था अथाह समंदर
इक तरफ़ बेबस मैं थी खड़ी
शोर बहुत था मन के अंदर
बहार पसरी थी ख़ामोशी बड़ी
दोनो में था क्यों इतना अंतर
असमंजस में थी मैं भी पड़ी
यादों...