लक्ष्मण की उर्मिला
आसान नहीं होता है जग में
लक्ष्मण की उर्मिला हो जाना
सारे जग से तोड़ के नाता
प्रियतम में ही खो जाना
सिया जैसा नहीं त्याग अगर
तो सिया से कम भी कहाँ था
सीता संग प्रति क्षण रघुवर के
पिय वियोग उर्मिल ने सहा था
होता नहीं आसान जगत में
विरह हलाहल पी जाना
बिसरा कर सब जन जग को
नींद पिया की सो जाना
पति सेवा में वो लीन हुईं
तन मन से भी क्षीण हुईं
तिय धर्म का प्रण जो लिया...
लक्ष्मण की उर्मिला हो जाना
सारे जग से तोड़ के नाता
प्रियतम में ही खो जाना
सिया जैसा नहीं त्याग अगर
तो सिया से कम भी कहाँ था
सीता संग प्रति क्षण रघुवर के
पिय वियोग उर्मिल ने सहा था
होता नहीं आसान जगत में
विरह हलाहल पी जाना
बिसरा कर सब जन जग को
नींद पिया की सो जाना
पति सेवा में वो लीन हुईं
तन मन से भी क्षीण हुईं
तिय धर्म का प्रण जो लिया...