...

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तुम बदल गए हो
पैसो की लालच में तुम फिसल गए हो,
समय के साथ तुम बदल गए हो....

अच्छाई और इंसानियत तुम्हारी ताकत था कभी,
तुम दिन रात करते थे सभी का अच्छा चाहे हो वो अजनबी,
अब पैसा बन गया है तुम्हारा मज़हब और ईमान,
अब पैसो मे ही बस्ती है तुम्हारी जान,
पैसो की लालच में तुम फिसल गए हो,
समय के साथ तुम बदल गए हो....

खुदगर्ज़ थी दुनिया तब तुम उनके मददगार थे,
तुम्हारी अच्छाई के कारण तुम बने मेरे प्यार थे,
अच्छाई की तुम हुआ करते थे कभी झलक,
अब तुम्हारे अंदर है बस पैसा और अच्छाई हो गयी है अलग,
पैसो की लालच में तुम फिसल गए हो,
समय के साथ तुम बदल गए हो....

तुमसे मिलकर लगा था कि तुम्हारे साथ जीवन बहुत अच्छा जाएगा,
यह इंसान एक दिन दुनिया को इंसानियत सिखाएगा,
तुम्हें देख के लगा तुम हो मेरे राम और मैं...