...

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ईन्सान ....
खुशी के साथ मे घम का पहरा है,
हर दिल यहाँ तन्हा,
हर ईन्सान अकेला है,

अपनो के बीच ऐसा अकेला है,
कि घैरो में अपनो को खोजता है,
अपनो से पास होकर भी दूर,
तन्हा ये रोता है,

घैरो को अपना बनानेकी कोशिश,
मे ये अपनो से बिछडा़ है,
ये ईन्सान तू खोये कहाँ,
खोजे अपने को दूसरो मे,

उठ देख आईने मे,
अपने को खोज अपनो मे,
तेरी तन्हाई गुस्सा है,
उसे नफरत मत बना,

अपनो मे तेरा,
रोना भी हँसना है,
तू तन्हा नही,अकेला नही,
अपनो से घिरा तू,
एक मे अनेक है||

© Aeni Shah