कुछ बदल गया
वही घर है
वही दीवारें भी
वही सावन है,
वही टपकती छत भी
वही हवा का झोंका है,
वही मिट्टी की महक भी
वही सतरंगी आसमां है
वही गढ्ढो...
वही दीवारें भी
वही सावन है,
वही टपकती छत भी
वही हवा का झोंका है,
वही मिट्टी की महक भी
वही सतरंगी आसमां है
वही गढ्ढो...