...

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इश्क़ इंतज़ार हैं
इश्क़ था तुमसे
इश्क़ रहेगा सदा
अर्सों बीत जाने पर भी
तुम्हारा इंतज़ार रहेगा सदा

दिल ज़िद्दी है
तुम्हें हर दुआ में मांगता है
कितनी चाहत है
ये बात ख़ुदा भी जानता है

नैनों में तेरे जादू सा है
मुलाक़ात को दिल बेकाबू सा है
उम्मीद कायम है तेरे लौट आने की
एक तू वज़ह है मेरे मुस्कुराने की

लफ़्ज़ों में कभी बयां ना कर सके हम
ज़माने की बेड़ियों से उलझ गए हम
जिस दिन से तुम्हें खोया है
उसी दिन से ख़ुदको खो बैठे हम

आज भी तेरी यादों को सिराने में लिए सोते हैं
महफिलों में हस्ते हैं और अंधेरों में रोते हैं
सोचा था भुला देंगे एक एक याद को
जितना भुलाना चाहें उतना ज्यादा
तेरी यादों में पागल होते हैं

ये जो मुस्कान है लबों पे हमारे झूठी ही तो है
बिन तुम्हारे हम अधूरे ही तो हैं
काश कोई ऐसा लम्हा आ जाए
जब तुम ख़ुद हमसे कहो के
हम भी चाहत के धागों से तेरे सपने पिरोते हैं

इश्क़ तो इश्क़ है हुज़ूर
दूरियां ये फासले कहां इश्क़ को
कम होने देते हैं
सच्ची चाहत हो तो फ़र्क नहीं पड़ता
के ज़माने के लोग क्या कहते हैं

किसीको पाने की ख्वाहिश ही
मोहब्बत नहीं होती
ताउम्र किसिकी राह तकना कोई
आसान बात तो नहीं होती

#इंतज़ार

© rõõh