...

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कोई ख्बाबो में मुझे आने देगा
कोई मेरी आखों में ख्बाबों को जगाने देगा,
पूछना था कि कोई ख्बाब में आने देगा ,
फिर वही नीद वही रात वही सन्नाटा ,
ऐसी रातों में खंडहर मुझकों सिराना देगा,
ख्बाब आते नहीं है इसमें भला मेरी खता क्या,
ख्बाब से कहो नींद तो आने देगा ।
जी वही पेड़, वही फूल, मकां से लगें,
फूल से पूछता हूँ, खुशबुएं आने देगा।
मेरा वह दोस्त,वही पेड़, वहीआसमान से लगें,
आसमान देखकर बारिस से भीगाने देगा।
मेरी ख्बाइश ही सही जीते जी जन्नत देखू,
रब मुझे आसमां से लौटकर आने देगा।
फिर वही बात मेने जाके अन्धेरे से कही
रोशनी बाला मुझपे रोशनी आने देगा।
फिर वही बात दुनिया से अलग दूर कही,
एक घड़ी बैठकर कोई बात सुनाने देगा।
ऐसी मैं बात करू, रब से दुआ से एक जगह,
जहन मे ऐसे भी वो ख्याल आने देगा।
सफर से तंग होकर थक चुका हूँ,
सुन ना! मेरी रब ,
अपनें दिल में मुझको भी सिरहाना देना।
सत्यम दुबे
© Satyam Dubey