झरनों सी झर झर
झरनों सी झर झर
आंखों से उतर रही है
कोई फूल
इतनी सुंदर महक रही है
बागों में सज
दिल की गुलशन में गमक रही है
प्रिय आभा मूर्ति
पलकों पर सज सवर रही है
अनुबंध लिए
पायलों में खनक रही है
बासंती बेला ...
आंखों से उतर रही है
कोई फूल
इतनी सुंदर महक रही है
बागों में सज
दिल की गुलशन में गमक रही है
प्रिय आभा मूर्ति
पलकों पर सज सवर रही है
अनुबंध लिए
पायलों में खनक रही है
बासंती बेला ...