तुम जानते हो।
खुद की नजरों में मैं खुद खास नहीं हूं,
तुम्हारी हैसियत के तो आस–पास नहीं हूं,
फिर भी धर्मेंद तुम मुझे अच्छा मानते हो।
••मुझसे ज्यादा मेरे बारे में, तुम जानते हो।।
मैं हंसी में भी कहूं, तुम विश्वास कर...
तुम्हारी हैसियत के तो आस–पास नहीं हूं,
फिर भी धर्मेंद तुम मुझे अच्छा मानते हो।
••मुझसे ज्यादा मेरे बारे में, तुम जानते हो।।
मैं हंसी में भी कहूं, तुम विश्वास कर...