...

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औकात
फ़लक से तारे,
बेशक न तोड़ पाऊं,
जंगल से कुछ जुगनू,
ज़रूर पकड़ लाऊंगा,
बादशाह नहीं हूं,
जो बनवा दूं ताजमहल,
प्यार सच्चा है पर,
औकात में निभाऊंगा।

- राजेश वर्मा
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