मेरे जीवन का सफ़र
मेरे ज़िन्दगी का शुभारंभ ,
मेरे माता - पिता के घर से हुआ।
पढ़ाई - लिखाई हुई ,
और कब बिदाई हुई
पता ही न चला।
ज़िन्दगी का हमसफ़र
मैंने स्वयं ही चुना।
ऐसा लगा सपनों का
महल अब हुआ दोगुना ।
मैं और मेरे पती,
दोनों चले एक नये
जीवन की शुरुआत करने,
जहाँ मेरे कदम लगे थोडे़ - से ड़ग - मनाने ।
जीवन के कुछ पडाव के उपरांत -
एक दिन मुझे मेरे पती बोले,
प्रतिभा तु ये सब करना छोड दे ,
मुझे यह पसंद नहीं,
मैं ठ़हरी पतिव्रता नारी,
मैने ये सब करना छोड दिया ।
कुछ सालों बाद ,
ये मुझे बोले ,
प्रतिभा तु वो सब करना छोड दे ,
मैने वो सब करना भी छोड दिया ।
कुछ सालों बाद ,
ये मुझे फिर बोले ,
प्रतिभा तुझ से यह नहीं होगा ,
तु यह भी करना छोड दे ,
मैने यह करना भी छोड दिया ।
फिर कुछ साल बितें
ये मुझे फिर बोले ,
प्रतिभा ,क्या ज़रु़रत यह करने की ,
तुझे किसी चीजो़ की कमी है क्या ?
तु यह सब कुछ भी करना छोड दे ,
अब मैंने यह सब कुछ करना भी छोड दिया।
अब ये मुझे कहते है -
प्रतिभा , अब तु बदल गयी है ,
पहले जैसी नहीं रहीं।
प्रतिभा पाटील
मेरे माता - पिता के घर से हुआ।
पढ़ाई - लिखाई हुई ,
और कब बिदाई हुई
पता ही न चला।
ज़िन्दगी का हमसफ़र
मैंने स्वयं ही चुना।
ऐसा लगा सपनों का
महल अब हुआ दोगुना ।
मैं और मेरे पती,
दोनों चले एक नये
जीवन की शुरुआत करने,
जहाँ मेरे कदम लगे थोडे़ - से ड़ग - मनाने ।
जीवन के कुछ पडाव के उपरांत -
एक दिन मुझे मेरे पती बोले,
प्रतिभा तु ये सब करना छोड दे ,
मुझे यह पसंद नहीं,
मैं ठ़हरी पतिव्रता नारी,
मैने ये सब करना छोड दिया ।
कुछ सालों बाद ,
ये मुझे बोले ,
प्रतिभा तु वो सब करना छोड दे ,
मैने वो सब करना भी छोड दिया ।
कुछ सालों बाद ,
ये मुझे फिर बोले ,
प्रतिभा तुझ से यह नहीं होगा ,
तु यह भी करना छोड दे ,
मैने यह करना भी छोड दिया ।
फिर कुछ साल बितें
ये मुझे फिर बोले ,
प्रतिभा ,क्या ज़रु़रत यह करने की ,
तुझे किसी चीजो़ की कमी है क्या ?
तु यह सब कुछ भी करना छोड दे ,
अब मैंने यह सब कुछ करना भी छोड दिया।
अब ये मुझे कहते है -
प्रतिभा , अब तु बदल गयी है ,
पहले जैसी नहीं रहीं।
प्रतिभा पाटील
Related Stories