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क्यूँ ऐसा किया।
चल दिए ऐसे मुख मोङ कर
हर रिश्ता को यूँ तोङकर
सोचते तो तुम बिन जाएगा
सबका कैसे जिया
तुमने ऐसा क्यूँ किया।।
एक बार आवाज दे तो देते
फिर तो सब बस साथ होते
बिन कुछ कहे बिन कुछ सुने
ऐसे अलग क्यूँ हो लिया
तुमने ऐसा क्यूँ किया।।
अब रात रात होती नहीं
दिन सिमट सिसक रह जाता है
क्या समझ नहीं यह पाए
कहाँ फिर कुछ रह जाएगा
खत्म कर सब नाता तोङ लिया
तुमने ऐसा क्यूँ किया।।
✍️राजीव जिया कुमार
सासाराम,रोहतास,बिहार।
© rajiv kumar
हर रिश्ता को यूँ तोङकर
सोचते तो तुम बिन जाएगा
सबका कैसे जिया
तुमने ऐसा क्यूँ किया।।
एक बार आवाज दे तो देते
फिर तो सब बस साथ होते
बिन कुछ कहे बिन कुछ सुने
ऐसे अलग क्यूँ हो लिया
तुमने ऐसा क्यूँ किया।।
अब रात रात होती नहीं
दिन सिमट सिसक रह जाता है
क्या समझ नहीं यह पाए
कहाँ फिर कुछ रह जाएगा
खत्म कर सब नाता तोङ लिया
तुमने ऐसा क्यूँ किया।।
✍️राजीव जिया कुमार
सासाराम,रोहतास,बिहार।
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