...

9 views

समझदार
कभी देखता हूं
खिड़कियों से झांककर

कभी सोचता हूं
दहलीज लांघकर

बीत गई जो उमर
रहना चाहूं उसमें दिन भर


नहीं होना समझदार
नहीं जाना उस पार
होता जहां दिलो का व्यापार
नहीं जाना उस पार
नहीं होना...