एकांत
जब खुद से खुद की लड़ाई हो,
ग़म के मंज़र पे चढ़ाई हो,
जब आँसू खुद ही निकले हो,
जब खुद आँखे मुस्काई हो,
जब दर्द कही से उबरा हो,
जब खुद का जनाज़ा गुज़रा हो,
जब शोकसभा सा मेला...
ग़म के मंज़र पे चढ़ाई हो,
जब आँसू खुद ही निकले हो,
जब खुद आँखे मुस्काई हो,
जब दर्द कही से उबरा हो,
जब खुद का जनाज़ा गुज़रा हो,
जब शोकसभा सा मेला...