...

27 views

इस जाड़े में...
सूरज को भी ठंड लग गयी
छुपकर बैठा जाड़े में,
फौरन चार रजाई-गद्दे
लेकर आया भाड़े में।

'धूप-सूप' सब ठंडे पड़ गये
ठंड के एक दहाड़े में,
शीतलहर के कहर से जब
कँप-कँपी मच गयी हाड़े में।

चाय-कॉफ़ी सब हार गये जब
ठंड से आज अखाड़े में,
राहत तब थोड़ी सी पाई
अजवाइन के काढ़े में।

'लकड़ी-कोयला-उपला' जब सब
फुँक गये घर के बाड़े में,
ओढ़ रजइया, दुबके "भूषण"
कुण्डी मार किवाड़े में।।