तुम न आए
शाख के सब झर गए हैं फूल
लेकिन तुम न आए
देह में चुभने लगे हैं शूल
लेकिन तुम न आए
रात को कर के इशारे
महमहाती रात रानी
पत्तियों से झांकती है...
लेकिन तुम न आए
देह में चुभने लगे हैं शूल
लेकिन तुम न आए
रात को कर के इशारे
महमहाती रात रानी
पत्तियों से झांकती है...