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कविताएं लिखता हूँ
कहते हैं कुछ लोग मुझे
यह निरा निकम्मा कायर है
कुछ कहते हैं पागल है
तो कुछ कहते हैं शायर है

मैं आवारा कलम का मारा
सपनों का सौदागर हूँ
दुनिया में विखराता मोती
पर मैं खाली गागर हूँ

पत्थर के सीनें पर मैं
अमर कथाएं लिखता हूँ
फक्कड़ हूँ, मनमौजी हूँ,
मैं कविताएं लिखता हूँ

लिखता हूँ मैं उनके आंसू
जिनका कोई नहीं अपना
लंबी लंबी रातों को
तड़पाता है जिनको सपना

जिनके दिलवर दिल में रहकर
ही दिल को तोड़ गए
जिनके अपने ही जीवन नौका
बीच भंवर में छोड़ गए
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