...

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तेरी-मौत, तेरी जुदाई….
कोई खबर के साथ में
अब बे-ख़बर बन गया ।
कोई क़बरस्तान में आकर
अब कब्र बन गया ।
जिसके साथ थी यादें
वो यादगार बन गया ।
जिससे पहचान थी मेरी
वो बेऐतबार बन गया ।

बिना उसके अब यहाँ
कोई अपना लगता नहीं,
जब से वो गया है छोड़कर
दिल लगता नहीं…
आई नहीं कोई चिट्ठी
और ना मिला कोई संदेश,
जो बफा के काबिल था
आज ग़द्दार बन गया…
जिसके साथ थी यादें
वो यादगार बन गया ।
जिससे पहचान थी मेरी
वो बे-ऐतबार बन गया ।

चले गये वो सारे मौसम
जो तुम्हें मेरे पास बुलाते थे,
अब आते नहीं काले काँवे
जो तेरे आने का संदेश लाते थे…
“जिंद” ऐसी भी क्या मजबूरी थी
जो वापसी की तारीख़ बताई नहीं,
सिमट गया मेरा तेरे साथ जीवन
जबसे तेरी मौत का राज बन गया ।
जिसके साथ थी यादें
वो यादगार बन गया ।
जिससे पहचान थी मेरी
वो बे-ऐतबार बन गया ।


#जलते_अक्षर


© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻