...

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मेरी जंग
मेरी जंग तो मेरे अपने आपसे हे ..
भला किसी से अपने कमतर पूर्ण की होड़ कर
में क्या हासिल कर यहां से ले जाउँगा व् पाऊंगा ..

मस्तिष्क में दौरति अशांति अपने-पराये ,मित्र-शत्रु की व्यख्या बस एहि छोटा सोच के इसके इर्द गिर्द सिमटा रह जाऊंगा ..

मेरी जंग तो मेरे अपने आपसे हे ..

रवि