...

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जहरीला पानी
हे मानव! तू इतना स्वार्थी कैसे हो गया,
लालच में फंसकर नित्य जीवन के आधार को ही मिटा रहा।

फैक्टरियों के कूड़े-कर्कट को पानी में डालकर,
तू पानी को जहरीला बना रहा।

जल ही जीवन का आधार है,
इसके बिना तो नष्ट तेरा भी संसार है।

नदियां, नाले बैठे रो रहें,
कि भगवान उन्हें कैसा समय है दिखा रहा।

हे मानव! कम से कम तू इनका विलाप तो सुन,
जल को दूषित करना तू बंद कर।


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