...

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"दिल की दिवार"
दिल की दिवार पर दरार पडी थी
पाँच बरस में ही औधें मुंह सरकार पडी थी
मै अपने घर में बैठा जब रो रहा था
गली के उस छोरपर मेरा प्यार खडी थी
ठोकर लगी जब जमानेभर की मुझकों
एक अकेली मेरे लिए मेरी यार लडी थी
शोर था मातम था मै मर ही गया था
जिन्दा हूँ मै,ऐसी जिद पर वो हरबार अडी थी
लोग बेचैन थे जनाने को ले जाने की खातिर
मेरे साथ मेरी अर्थी पर मेरी लाश पडी थी।