सोचता हूं वहम ही रख लूं
छोटी सी ज़िन्दगी में क्या अज़ाब देखा है
दुश्मन की बाहों में अपना ख़्वाब देखा है....!
वो जो गए थे कभी, बशर करके
उन्हीं से हासिल शय का ख़िताब देखा है ...!
आरज़ू ना रही फिर और मय की
जो प्याले...
दुश्मन की बाहों में अपना ख़्वाब देखा है....!
वो जो गए थे कभी, बशर करके
उन्हीं से हासिल शय का ख़िताब देखा है ...!
आरज़ू ना रही फिर और मय की
जो प्याले...