...

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वो ऐसी थी
वो ऐसी थी कि
मेरे मरने की बात सुनकर मेरे होठों पर अपना हाथ रख देती थी,
आखों में आंसू और दिल में जज़्बात भर लेती थी,,
अति सुन्दर, भावुक और निश्छल सी लगती थी,
जब मेरे कन्धों पर सिर और अपने हाथों में मेरा हाथ रख लेती थी,,
अगर वो साथ होती तो मानो जीवन संवर सा जाता ,
वो गमों को खुशियों में बदलकर बदल मेरे हालात देती थी,,
यूं ही नहीं बना शायर ये 'मस्त मलंग' दोस्तों,
हाथों में कागज़-कलम थमा कर सामने मेज पर दवात रख देती थी,,
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