...

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मैं शून्य हूं...
ना मशहूर हूं न मगरुर हूं
ना किसी में गुम हूं
बस गुमनाम हूं
जिन्दगी से बहुत दूर हूं
ना किसी की ख़ास हूं
ना ही अजीज और न ही मुमताज हूं
अपना नहीं कोई इस जग में
मैं तो बस एक जुगनू सा मिजाज़ हूं
हैं किसी के पास शोहरत
तो कोई है यहां फरिश्ता
मैं नहीं इन खास सिक्कों में
मैं तो हूं शून्य इस जग का
ना रखना दोस्ती,ना दुश्मनी का कोई राब्ता
ना आता मुझे प्यार करना
ना ही आता दुश्मनी का खेल
खेल नहीं भांते इस जग के
ना ही भांति यहां की रंगरेल
गिनती में नहीं गिनती मेरी
शब्दों में कोई शब्द नहीं
मेरी एक ही पहचान इस जहां में
मैं शून्य से बढ़कर कुछ नहीं
मैं खुद में ही गुम हूं
आदि अंत अनादि में
सब में सिर्फ़ शून्य हूं
मैं शून्य हूं

© 💞 पूजाप्रेम💞