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ईश्वर क्या कोई इंसान है ?
एक दूसरे से द्वेष है, बने हैं सब इक दूजे के खून के प्यासे।
इंसानों में बचा नही इंसान है,
उनकी हैवनियत से ईश्वर भी हैरान है।
करता है जो पाप कई, पूजा भी करता है विधि विधान से,
सोचता है ईश्वर उसके कर्मो से अनजान है।
कर्म करे इंसान अच्छे साथ ही करे प्रभु का ध्यान है।
खुश होगा नहीं सुन कर अपना गुणगान वो,
ईश्वर हैं वो न कि कोई इंसान हैं।।
इंसानों में बचा नही इंसान है,
उनकी हैवनियत से ईश्वर भी हैरान है।
करता है जो पाप कई, पूजा भी करता है विधि विधान से,
सोचता है ईश्वर उसके कर्मो से अनजान है।
कर्म करे इंसान अच्छे साथ ही करे प्रभु का ध्यान है।
खुश होगा नहीं सुन कर अपना गुणगान वो,
ईश्वर हैं वो न कि कोई इंसान हैं।।
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