...

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ख्वाबों का सफर
एक समय की बात है यारो,
मानव एक निराला था,
ठानी थी ,कुछ करने की,
वो तो हिम्मत वाला था ,

निकल पड़ा तलास- ऐ - सुकून वो,
मीलों की यह दूरी थी,
ना जाने क्यों इतनी मेहनत,
उसकी क्या मजबूरी थी?

बहुत तलाशा, तब जा करके,
ढूंढी जमीं अनोखी थी,
घर बसाना था उसको तो,
और करनी खेती थी,

बंजर भूमि,खोदी उसने ,
रंग लाई मेहनत उसकी,
सबसे अनोखी लहलहाती,
थी देखो फसलें उसकी,

जगह की सुंदरता का तो,
चित्रण करना ना आसान,
जंगल के बीचों में था ये,
फल- फूलों के थे बागान ,

धरती मां की गोद से निकला,
करता यहां तो निर्मल जल,
फसलों की तो थी भरमार,
और, खाने को थे मीठे फल,

बड़ा शौक था बागानों का,
कितने पेड़ लगाए थे,
फसलों के रूप में जैसे,
उसने हीरे पाए थे,

कुछ करने की ठान जो लोगे,
हार नहीं होगी हर बार,
मेहनत करके फल मिलता है ,
कर लो मेरा एतबार ....
कर लो मेरा एतबार ....




© Munni Joshi