...

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दास्तां -ए -ज़िन्दगी
क्या लिखूँ अपनी दास्तां,
उनसे एक बार बात क्या हुई.
सारे के सारे हालात बदल गए,
क्या लिखूँ अपने ज़ज़्बात की.
उनके इंतज़ार में कई रात बीत गए,
क्या लिखूँ उनकी बेरुखी में.
सारे ज़ज़्बात बह गए,
क्या लिखूँ कि इन ज़ज़्बातों के साथ.
सारे ताल्लुकात बदल गए.
क्या-क्या लिखूँ इस दास्तां में,
मेरे सारे ख़यालात बदल गए.
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